सूर्य को राष्ट्र शास्त्रों में एवं पुराणों में आरोग्य दायक कहा गया है.
सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का जिक्र कई स्थानों पर आया है इस व्रत को करने इस व्रत को करने वालों के रोग ठीक हो जाते हैं त्वचा संबंधी रोगों होने पर यह व्रत रामबाण की तरह काम करता है वैज्ञानिक दृष्टि से से भी देखा तो सूर्य रेशमियों में चमक कर गुण होते हैं.उनके प्रभाव से रोगों का अंत होता है, वर्तमान समय में सूर्य चिकित्सा पद्धति सूर्य करने पर आधारित होती है.
रस सप्तमी वसंत के मौसम के परिवर्तन और कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. अधिकांश भारतीय किसानों के लिए यह नए साल की शुभ शुरुआत है,त्यौहार अभी हिंदुओं द्वारा अपने घरों में और भारत भर में सूर्य को समर्पित आसन के मंदिरों में मनाया जाता है यह सूर्य के जन्म का भी प्रतीक है और इसलिए सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.